Kalbhairav Mantra | काल भैरव बाबा का शक्तिशाली मंत्र

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कालभैरव बाबा शिव जी के ही रूप है इनको काशी का कोतवाल कहा जाता है। Kalbhairav Mantra बहुत ही शक्तिशाली मंत्र होता है जिसके जाप करने से समस्त दुखो का नाश हो जाता है। और भक्त को एक अद्भुत शक्ति का संचार होता है। Kalbhairav Mantra का जाप करने से शिव जी बहुत ही प्रसन्न होते है और भगवन शिव की अपार कृपा भक्तो को प्राप्त होती है।

कालभैरव मंत्र (Kalbhairav Mantra)की उपयोगिता

कालभैरव बाबा की उत्पत्ति भगवान शिव के क्रोधित होने से हुई थी जिसे पुराणों मे काल भैरव के मान से जाना जाता है। कालभैरव शिव के ही एक रूप है जिन्होंने अनेको राक्षसो को मार कर देवताओ की रक्षा की थी तब से देवताओ द्वारा काल भैरव की पूजा की जाती है यंहा हम काल भैरव के मंत्र प्रदान कर रहे है जिसे पढ़कर आप अनेको दुखो से मुक्त हो सकते है और भगवन कालभैरव की कृपा प्राप्त कर सकते है।

कालभैरव मंत्र लिरिक्स -Kalbhairav Mantra Lyrics:

ओम भयहरणं च भैरव:।

ओम कालभैरवाय नम:।

ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।

ओम भ्रं कालभैरवाय फट्।

॥ऊं भ्रं काल भैरवाय फट॥
।। ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:।।
|| ॐ भयहरणं च भैरव: ||

बटुकाख्यस्य देवस्य भैरवस्य महात्मन:।

ब्रह्मा विष्णु, महेशाधैर्वन्दित दयानिधे॥

ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं

॥ऊं भ्रं कालभैरवाय फ़ट॥

|| ॐ भयहरणं च भैरव: |

कालभैरव मंत्र (Kalbhairav Mantra)की जाप की विधि:

रविवार को सुबह-सुबह स्नान करके दरी या चटाई बिछाकर बैठे व पूजा स्थल पर भैरव यंत्र की स्थापना करें | उपरोक्त दिए गये मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र का चुनाव करें | मंत्र का जाप नियमित रूप से व समय के अनुसार ही करें। घी का दीपक व धुप आदि जलाये। अब भगवान श्री गणेश का ध्यान करें अब आप भैरव बाबा का ध्यान करते हुए मंत्र जाप आरम्भ करें। प्रतिदिन समान मात्रा में जप करें।

यदि आप पूजा स्थल के अतिरिक्त किसी अन्य स्थान पर चौकी की स्थापना करके भैरव उपासना करते है तो ऐसे में आप तेल के दीपक का प्रयोग करें | यदि आप उपरोक्त मंत्र को सिद्ध करना चाहते है तो ये मंत्र पढ़ सकते है :

  • बटुक भैरव मंत्र साधना मंत्र
  • काल भैरव मंत्र साधना मंत्र
  • भैरव तांत्रिक मंत्र

घर से हर प्रकार की नकारात्मक शक्तियों को दूर करने में भैरव बाबा की आराधना करना आपके लिए सर्वोत्तम विकल्प है | तंत्र शास्त्र में भी भैरव बाबा Kalbhairav Mantra को विशिष्ट स्थान प्राप्त है | बुरी शक्तियों से छुटकारा पाने में , नजर दोष दूर करने में, शत्रुओं का नाश करने में व घर में सुख-शांति बनाये रखने में भैरव उपासना को विशेष महत्व दिया जाता है |

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कालभैरव मंत्र Kaalbhairav Mantra:

Kaalbhairav Mantra

काल भैरव Kaalbhairav Mantra मंत्र के फायदे

भगवान शिव के स्वरूप काल भैरव की उपासना जीवन में आने वाली समस्त बाधाओं को दूर करती है। भैरवाष्टमी के दिन तंत्र-मंत्रों का प्रयोग कर आप अपने व्यापार, जीवन में आने वाली कठिनाइयों, शत्रु पक्ष से होने वाली दिक्कतों, बाधा, मुकदमें में जीत आदि के लिए काल भैरव Kalbhairav Mantraकी उपासना का लाभ मिलता है। इसका वर्णन शास्त्रों में भी मिलता है कि भैरव उपासना से जीवन की हर मुश्किल आसान हो जाती है। इस लेख में हम आपको आगे बताएंगे काल भैरव की उपासना के लिए मंत्र और साधना के लाभ।

रुके हुए काम के लिए मंत्र

अलग-अलग कार्य सिद्धि के लिए भैरव उपासना Kalbhairav Mantra के कई मंत्र है। यदि आपका कोई काम रुका हुआ है तो ओम ब्रह्म काल भैरवाय फट मंत्र का जप करें। यदि आपको या आपकी संतान को किसी भय और बाधा से छुटकारा पाना है तो कओम भयहरणं च भैरव:ल मंत्र का जप आपको 24 घंटे के अंदर लाभ देगा।

मुकदमे में जीत के लिए मंत्र

यदि आप कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाकर परेशान हैं और आपके मामले में सालो-साल बाद भी कोई हल नहीं निकल रहा तो ऊं हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम: मंत्र से काल भैरव की साधना करें। इस मंत्र की कम से कम 11 मात्रा करने से तुरंत लाभ प्राप्त होगा।

भैरव उपासना के लिए दिन

भैरव की उपासना Kalbhairav Mantra के लिए उपयुक्त दिन रविवार माना गया है।आप मंगलवार और शनिवार को भी पूजा कर सकते हैं। अर्ध रात्रि (रात12 बजे) के समय की गई भैरव उपासना विशेष फल प्रदान करने वाली होती है।

भैरव के स्वरूप

वर्तमान में भैरव की Kalbhairav Mantra उपासना बटुक भैरव और काल भैरव के रूप में प्रचलित है। तंत्र साधना में भैरव के आठ स्वरूप की उपासना की बात कही गई है। ये रूप असितांग भैरव, रुद्र भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत्त भैरव, कपाली भैरव, भीषण भैरव संहार भैरव। कालिका पुराण में भी भैरव को शिवजी का गण बताया गया है जिसका वाहन कुत्ता है। यहां भी भैरव के आठ रूप को पूजनीय माना गया है।

भैरव की उत्पत्ति

शिवपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को दोपहर में भगवान शंकर के अंश से भैरव की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इस तिथि को काल भैरवाष्टमी या भैरवाष्टमी के नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार अंधकासुर दैत्य अपनी सीमाएं पार कर रहा था। यहां तक कि एक बार घमंड में चूर होकर वह भगवान शिव के ऊपर हमला करने का दुस्साहस कर बैठा। तब उसके संहार के लिए लिए शिव के खून से भैरव की उत्पत्ति हुई।

पूजन विधि

भैरव उपासना Kalbhairav Mantra के लिए एक चौमुखा मिट्टी या पीतल का दीपक लें। इसमें सरसों के तेल का चौमुखा चिराग जलाएं। उपासक का मुंह पूजन करते समय पूरब में होना चाहिए। साथ ही उपासक को लाल रंग के आसान पर बैठना चाहिए। भैरव का आह्वान कर स्फटिक की माला से भैरव मंत्र का जप करें। जप पूरा होने के बाद भोग लगाए और आरती करके प्रसाद बांट दें।

भैरव साधना क्यों

काल भैरव शिव का ही स्वरूप हैं। इसलिए शिव की आराधना से पहले भैरव उपासना की जाती है। उनकी साधना से समस्त दुखों से छुटकारा मिलता है। काशी और उज्जैन में भैरव का सिद्ध स्थान माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भैरव साधना करने वाले व्यक्ति को सांसारिक दुखों से छुटकारा मिल जाता है।

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