भगवान श्रीकृष्ण (Shyam Chalisa), भक्तों के हृदय में बसने वाले दिव्य नंदन, मिथिला के मोहन, गोकुल के गोपाल – श्याम, इन नामों से भी जाने जाते हैं। उनकी महिमा को गुणगान करने के लिए हिन्दू धर्म में अनेक पंथ प्रचलित हैं, और इनमें से एक अत्यंत प्रिय पथ है श्याम चालीसा। इस चालीसा में श्रद्धाभक्ति के साथ भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गान होता है, जो भक्तों को भगवान के प्रति अद्वितीय प्रेम की अनुभूति कराता है।
जय श्रीकृष्ण चेतना, करो हमारी माना।
भगवान तुम हो, हम भूले नहीं जाना।।
भक्ति के इस संगीत में शुरू होने वाले श्याम चालीसा का पहला श्लोक हमें भगवान के प्रति अपनी अक्षमता की अवगाहना कराता है। यह श्लोक हमें श्रीकृष्ण के साकार और निराकार रूप की महिमा में राग भरने के लिए प्रेरित करता है।
Victory to the awareness of Lord Krishna, please accept our devotion. You are our divine Lord, and we shall never forget you.
माखनचोर, मुरलीधर, गोपियों का मनहर।
ब्रज के राजा, सर्वोत्तम, हमारे दिल का प्यार।।
इस श्लोक में श्याम की लीलाएं और कृष्ण भगवान की अद्वितीयता की बातें हैं। माखनचोर और मुरलीधर के रूप में भगवान के चित्रण से भक्तों को उनकी अनन्य भक्ति की अनुभूति होती है।
The butter thief, the melodious one with the flute, the enchantment of the gopis. The king of Braj, the Supreme Being, you are the love of our hearts.
गोविंद, गोपाल, रासराज, मीरा के संग सजा।
प्रेम रस में रंगी, वृन्दावन की रानी बना।।
इस श्लोक में भक्तों को भगवान के अद्वितीय प्रेम और भक्ति के संगीत में रंगने का आनंद मिलता है। गोविंद, गोपाल, रासराज के नामों से भगवान के लीला में रमण करने का आमंत्रण होता है।
Govind, Gopal, the king of the Ras, you adorned yourself with Meera. Immersed in the colors of divine love, you became the queen of Vrindavan.
चिरंजीवन धरती पर, भगवान का अवतार।
हरि नाम के भक्तों का, है यह भवसागर उतार।।
श्याम चालीसा के इस श्लोक में भक्तों को भगवान के चिरंजीव और सर्वोत्तम स्वरूप में मानने का सुझाव दिया जाता है। हरि नाम की महत्ता और भक्ति की शक्ति को अपनाकर भक्त भवसागर से पार कर सकता है।
Eternally present on Earth, the incarnation of the Divine. For the devotees chanting the name of Hari, you are the boat that helps them cross the ocean of existence.
ब्रज में रास रचाएं, मोहन मुरारी।
गोपियों के संग, खेलते सावरी।।
ब्रज में तुम रास रचाते हो, हे मोहन मुरारी। तुम गोपियों के साथ खेलते हो, सावरी के साथ।
Dancing the Raas in Braj, you, Mohan Murari, play with the gopis. With the gopis, you engage in the divine play.
रासलीला में रत, गोपियों का मन भाए।
बांसुरी बजाएं, गिरिधारी सजे।।
रासलीला में रत रहते हुए, गोपियों का मन आकर्षित होता है। तुम बांसुरी बजाते हो, और गिरिधारी सजते हो।
Engrossed in the Raas Leela, the hearts of the gopis are captivated. Playing the flute, the one who adorns the peacock feather.
प्रेम भक्ति से भरा, श्याम का संसार।
मोहन की महिमा, अत्यंत अद्वितीय बताएं।।
प्रेम और भक्ति से भरा हुआ है, श्याम का यह संसार। मोहन की महिमा अत्यंत अद्वितीय है और उसे बयान करती है।
A world filled with love and devotion, the realm of Shyam. The glory of Mohan is described as extremely unique and incomparable.
ब्रजवासी गोपियाँ, करती हैं तुम्हें वंदन।
राधा के साथ, तुम हो सच्चे प्रेम के मंदन।।
ब्रजवासी गोपियाँ तुम्हें वंदन करती हैं। राधा के साथ, तुम सच्चे प्रेम के मंदन हो।
The gopis of Braj bow down to you. With Radha, you are the true embellishment of divine love.
जगमग जगमग, रूप तुम्हारा प्यारा।
भक्तों का ह्रदय, करो तुम से सारा।।
तुम्हारा रूप जगमगाता है और यह प्यारा है। भक्तों के हृदय को सम्पूर्णता से भर दो।
Radiant and resplendent, your form is beloved. Fill the hearts of devotees entirely.
श्याम चालीसा सुने, भक्ति भाव से भरपूर।
श्रीकृष्ण की महिमा, बने हमारे उद्धार।।
श्याम चालीसा को भक्ति भाव से सुनें। श्रीकृष्ण की महिमा सुनने से हमारा उद्धार होता है।
Listening to Shyam Chalisa, filled with devotion. The glory of Shri Krishna becomes the salvation for us
श्याम चालीसा के इन 10 श्लोकों के माध्यम से भक्त भगवान श्रीकृष्ण की पूजा, भक्ति, और प्रेम की अद्वितीयता में रमण कर सकता है। ये श्लोक भक्तों को श्रीकृष्ण के साथ एक सात्विक और भक्तिपूर्ण संबंध की अनुभूति कराते हैं।इस रूप में, श्याम चालीसा अपने अद्वितीय श्लोकों के माध्यम से भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण के साथ अद्वितीय प्रेम और समर्पण की भावना से युक्त करती है। यह चालीसा भक्तों को मानव जीवन में सत्य, शांति, और प्रेम की दिशा में मार्गदर्शन करती है, जिससे उनका जीवन सफल और प्रफुल्लित हो सकता है।
श्याम चालीसा भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और श्रद्धाभाव से भरी हुई है। इसमें भगवान के अद्वितीय स्वरूप, लीलाएं, और भक्तों के साथ रस लीला का चित्रण किया गया है। श्याम चालीसा का पाठ करके भक्त अपनी आत्मा को भगवान के साथ मिलाकर शांति और प्रेम की अनुभूति कर सकता है। इसे पढ़कर भक्त अपनी दिनचर्या में भगवान के प्रति अधिक समर्पित हो सकता है, जो जीवन को आनंदमय और प्रेरणादायक बना सकता है।
श्याम चालीसा के इस श्लोक में भक्तों को भगवान के चिरंजीव और सर्वोत्तम स्वरूप में मानने का सुझाव दिया जाता है। हरि नाम की महत्ता और भक्ति की शक्ति को अपनाकर भक्त भवसागर से पार कर सकता है।
श्री खाटू श्याम की चालीसा पाठ करने से भक्त को भगवान श्री श्याम का आशीर्वाद मिलता है और उनके समस्त दुःख दरिद्रता दूर हो जाते हैं। यह चालीसा श्रद्धा भक्ति और समर्पण भाव से पाठ करने से मन की शांति मिलती है और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है। श्री खाटू श्याम आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें।
श्री खाटू श्यामाय नमः।(shyam chalisa)
॥दोहा॥
बंशीधार छाजूरी धारी, कोमल नयन विशाल।
कर में श्री राधिका प्यारी, आधार श्री खाटू विहाल।।
॥चालीसा॥
बजरंग बलि उत्तम अवतारा।
देह धारी अति सुंदर न्यारा।।
चारी भुजा चामर ध्वजा बिराजै।
कांधे मुकुट मणि सोहत पिराजै।।
भाल चंद्रारविन्द मुख महारा।
कंठे मुकुट मोर मुकुट चमकारा।।
धरहिन तन छवि देख तब आवै।
सीतापति के चरण सो आवै।।
भाल पट सुंदर श्रीराम की।
सोभित भवन भाग्य भरी।।
अरु दिन यह ध्यान धरे।
सो जन बंधु भवन आवे।।
चारी भुजा धरहिं शंख छलकै।
धरहिं छवि सो जानि चलकै।।
आठ पहर आरती जो कोई।
जन दिन रैनि गावही तोई।।
सो मुकुट मणि सोहत पीरा।
मुकुट जन आरती करहि धीरा।।
कृष्ण के चरण ध्याए धरहिं।
साँची सुधि लेहु मन महरहिं।।
॥दोहा॥
चारी भुजा चामर ध्वजा बिराजै।
कांधे मुकुट मणि सोहत पिराजै।।
Read: Hanuman Chalisa
Khatu Shyam Chalisa in English
॥ दोहा ॥
Shri Guru Charanana Dhyan Dhar,
Sumir Satchidanand।
Shyam Chalisa Bhajat Hoon,
Rach Chaupaai Chand।
॥ चौपाई ॥
Shyam-Shyam bhaji baarambaara।
Sahaj hi ho bhavsaagar paara॥
In sam dev na dooja koi।
Din dayaalu na daata hoyi॥
Bhim Sutpr Ahilaavaatee jaaya।
Kahi Bhim ka pautr kahalaaya॥
Yeh sab katha kahi kalpaantar।
Tanik na maano ismein antar॥
Barbareek Vishnu avataara।
Bhaktan hetu manuj tan dhaara॥
Baasudev Devaki pyaare।
Jasumati Maiya Nand Dulaare॥
Madhusoodan Gopaal Muraari।
Vrijkishor Govardhan Dhaari॥
Siyaram Shri Hari Govindaa।
Dinpaal Shri Baal Mukundaa॥
Daamodar ran chhod Bihaari।
Naath Dwaarkaadheesh Kharaari॥
Raadha Ballabh Rukmani Kanta।
Gopi Ballabh Kans Hananta॥ 10
Manmohan chit chor kahaaye।
Maakhan chori chaari kar khaaye॥
Murli-dhar Yadupati Ghanashaamaa।
Krishn Patit Paavan Abhiraamaa॥
Maaya-pati Lakshmipati Eeshaa।
Purushottam Keshav Jagadisha॥
Vishwapati jai bhuvan pasaaraa।
Deenbandhu bhaktaan rakhwaara॥
Prabhu ka bhed na koi paaya।
Shesh Mahesh thake muni raaya॥
Naarad Shaarad Rishi Yogindarar।
Shyam-Shyam sab rata nirantar॥
Kavi Kodee kari kanan gintaa।
Naam apaar athaah anantaa॥
Har srushti har sug mein bhaai।
Ye avataar bhakt sukhdaai॥
Hriday maahi kari dekhu vichaaraa।
Shyam bhaje to ho nistaaraa॥
Kaur padhaavat ganika taari।
Bheelani ki bhakti balihari॥ 20
Sati Ahilya Gautam naari।
Bhaayi shraapvash shilaa dhulaari॥
Shyam charan raj chit laai।
Pahunchi pati lok mein jaahi॥
Ajaamil aru sadan kasaai।
Naam prataap param gati paai॥
Jaake Shyam naam adhaaraa।
Sukh lahai duhkha door ho saaraa॥
Shyam salovan hai ati sundar।
Mor mukut sir tan peetaambar॥
Gale bajanti maal suhaai।
Chhavi anoop bhaktan maan bhaai॥
Shyam-Shyam sumirahu din-raati।
Shyam dupahari kar parbhaati॥
Shyam saarathi jis rath ke।
Rode door hoaye us path ke॥
Shyam bhakt na kahee par haaraa।
Bheer pari tab Shyam pukaaraa॥
Rasna Shyam naam ras pee le।
Jee le Shyam naam ke hi le॥ 30
Sansaari sukh bhog milegaa।
Ant Shyam sukh yog milegaa॥
Shyam Prabhu hain tan ke kaale।
Man ke gore bhole-bhaale॥
Shyam sant bhaktaan hitkaari।
Rog-dosh adh naashe bhaari॥
Prem sahit jab naam pukaaraa।
Bhakt lagat Shyam ko pyaaraa॥
Khatu mein hain Mathura vaasi।
Parabrahm poorn avinaashi॥
Sudha taan bhar murli bajaai।
Chahu dishi jahaan suni paai॥
Vriddh-baal jete naari nar।
Mugdh bhaye suni bansi swar॥
Hadbad kar sab pahunchye jaai।
Khatu mein jahaan Shyam Kanhai॥
Jisne Shyam swaroop nihaaraa।
Bhav bhay se paaya chhutkaaraa॥
॥ दोहा ॥
Shyam salone sambhaare,
Barbareek tanudhaar।
Ichha poorn bhakt ki,
Karo na laao baar॥
॥ Iti Shri Khatu Shyam Chalisa ॥
Khatu Shyam Chalisa (खाटू श्याम) पाठ करने की विधि ?
खाटू श्याम (Shyam Chalisa) का पाठ करने की विधि में कुछ सामान्य चरण होते हैं जो निम्नलिखित हैं:
- साफ़ और शुद्ध मन की तैयारी: प्रारंभ में, आपको अपने मन को साफ़ करना चाहिए और शुद्धता के साथ खाटू श्याम के भक्तिभाव को ध्यान में रखना चाहिए।
- अपनी विशेष स्थान में बैठें: पूजा या पाठ के लिए एक शांत और शुद्ध स्थान चुनें, जहां आप अनवरत ध्यान के साथ अपने पूजनीय खाटू श्याम को स्मरण कर सकते हैं।
- आरती का पाठ करें: आप खाटू श्याम की आरती गाकर उन्हें समर्पित कर सकते हैं। आरती में भगवान के गुणों, महत्वपूर्ण नामों और उनकी महिमा का गान किया जाता है।
- मंत्रों का जाप करें: खाटू श्याम के मंत्रों का जाप करना भी उन्हें प्रसन्न कर सकता है। ‘ॐ नमो श्री सदगुरुदेवाय नमः’ और ‘श्री श्याम शरणम्भो नमः’ जैसे मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
- भजन गाएं: खाटू श्याम के भजनों का गान करना भी भक्ति और भावना का एक अच्छा तरीका होता है। उनके लीला, महिमा और प्रेम के गान से आपके मन को शांति मिलती है।
- दान और श्रद्धा से: खाटू श्याम के पाठ के दौरान, दान देना और अन्य दुर्गम लोगों की मदद करना भी आपके पूजनीय को प्रसन्न कर सकता है। इसके साथ ही, श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजनीय के चरणों में जाना भी महत्वपूर्ण है।
ध्यान दें कि खाटू श्याम पाठ की विधि व्यक्ति के आचार्य और संप्रदाय के अनुसार भिन्न हो सकती है, इसलिए यदि आपको किसी विशेष संप्रदाय का पाठ करना है, तो उसके अनुसार चलें।